भारत-पाकिस्तान के बीच युद्धविराम: राहत की सांस या अस्थायी विराम?

भारत-पाकिस्तान के बीच युद्धविराम: राहत की सांस या अस्थायी विराम?

10 मई, 2025 | न्यूज़ रिपोर्ट

22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए भयावह आतंकी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव अपने चरम पर पहुंच गया था। लेकिन अब, एक महत्वपूर्ण मोड़ लेते हुए, दोनों देशों ने अमेरिका, सऊदी अरब और तुर्की की मध्यस्थता में पूर्ण युद्धविराम पर सहमति जताई है। यह फैसला एक ऐसे समय में आया है जब दक्षिण एशिया में शांति की सबसे अधिक आवश्यकता महसूस की जा रही थी।

तनाव की पृष्ठभूमि

पहलगाम हमले में 26 भारतीय पर्यटकों की मौत ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया। भारत ने इस हमले का सीधा आरोप पाकिस्तान-समर्थित आतंकवादियों पर लगाया, जिसके बाद दोनों देशों के बीच मिसाइल, ड्रोन और तोपों से हमला होना शुरू हो गया। सैन्य ठिकानों के साथ-साथ कई नागरिक क्षेत्रों को भी भारी नुकसान झेलना पड़ा।

कूटनीति की वापसी

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के ट्विटर/X हैंडल से आई घोषणा ने सबको चौंका दिया:
> “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने बड़ा और साहसी कदम उठाया है। आज दक्षिण एशिया में शांति की नई शुरुआत हो रही है।”



इस युद्धविराम के तहत दोनों देशों ने ज़मीन, आकाश और समुद्र – तीनों ही क्षेत्रों में किसी भी प्रकार की सैन्य कार्रवाई रोकने का निर्णय लिया है। यह समझौता 10 मई को शाम 5 बजे से प्रभाव में आ गया।

आगे की राह

12 मई को दोनों देशों के सैन्य अधिकारी एक तटस्थ स्थान पर मिलेंगे, जहां युद्धविराम की शर्तों और विश्वास बहाली के कदमों पर चर्चा की जाएगी। विशेषज्ञों का मानना है कि यह मुलाकात सिर्फ एक औपचारिकता नहीं, बल्कि भविष्य की शांति का आधार बन सकती है।

जनता की प्रतिक्रिया

कश्मीर और पंजाब के सीमावर्ती क्षेत्रों में रह रहे नागरिकों ने इस युद्धविराम को राहत के रूप में देखा है। घातक हमलों और रातों की नींद हराम करने वाली गोलाबारी से जूझ रही जनता के लिए यह निर्णय उम्मीद की किरण जैसा है।


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निष्कर्ष:
भारत और पाकिस्तान के बीच यह युद्धविराम एक सकारात्मक कदम है, लेकिन स्थायी शांति के लिए संवाद, भरोसा और कूटनीतिक सतर्कता की ज़रूरत पहले से कहीं अधिक है।

क्या यह युद्धविराम टिकेगा, या फिर इतिहास खुद को दोहराएगा? यह सवाल अब भी हर किसी के ज़ेहन में है।

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